कभी-कभी देर रात तक टीवी देखने में कोई बुराई नहीं है लेकिन भूल कर इसे हर दिन की आदत नहीं बनानी चाहिए. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के एक शोध के अनुसार, मध्यम आयु में बहुत अधिक समय तक चैनल बदलने की आदत से सोचने-समझने की क्षमता में गिरावट आती है. शोध के मुताबिक, बहुत टीवी देखने से मस्तिष्क में ग्रे मैटर की मात्रा कम होती है. ग्रे मैटर तंत्रिका तंत्र से जुड़ा है और सोचने या निर्णय लेने की क्षमता इसी से बनती है. इसलिए लाइफस्टाइल में सुधार के लिए सबसे पहले बहुत ज्यादा टीवी देखने की आदत को कम करें.
सिर्फ टीवी ही नहीं बल्कि पूरे दिन बिना किसी काम के इधर-उधर पड़े रहना या फिर हर समय सुस्त रहना भी उम्र से पहले बुढ़ापा लाता है. ये ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी असर डालता है. एक्सरसाइज करने से ना सिर्फ हड्डियां और मांसपेशिया स्वस्थ रहती हैं बल्कि ये शरीर को अंदर से जवान बनाने में भी मददगार है. JAMA मेडिकल पत्रिका में छपी एक स्टडी के मुताबिक, एक ही उम्र के आलसी लोगों की तुलना में हमेशा एक्टिव रहने वाले लोग ज्यादा दिनों तक जवान बने रहते हैं. स्टडी के मुताबिक, सुस्त लाइफस्टाइल से बुढ़ापा जल्दी आ जाता है और बीमारियां उम्र से पहले घेर लेती हैं.
कोरोना महामारी की वजह से ज्यादातर लोगों की सोने की आदत में बदलाव आया है. खराब स्लीपिंग पैटर्न का असर चेहरे पर साफ दिखता है. साइंटिफिक जर्नल में छपी एक स्टडी के मुताबिक, मध्यम आयु वर्ग के जो लोग नियमित रूप से 6-8 घंटे से अधिक या कम सोते हैं, उनमें सोचने-समझने की क्षमता में 4-7 साल तक की गिरावट आ सकती है. क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल डर्मेटोलॉजी में छपी एक अन्य स्टडी में पाया गया है कि खराब नींद लेने वालों की त्वचा तेजी से बूढ़ी होती है. जो महिलाएं पूरी नींद नहीं लेती हैं, उनकी स्किन पर प्री-मेच्योर एजिंग के लक्षण दिखाई देने लगते हैं. इसलिए बुढ़ापे के लक्षण को दूर रखने के लिए स्लीप साइकिल को सही रखना जरूरी है.